ग़ज़ल غزل __________ छोड़िए, माज़ी के तलवे ही न मलते रहिए रुकना मुर्दों की निशानी है सो चलते रहिए धूप …
Read moreतहत में ठीक था शायर लगा है अब गाने इस फटे बांस के भी लोग हुए दीवाने मैं भी शायर हूँ शरीफ़ों में है …
Read moreग़ज़ल غزل __________ ज़िंदा रहना ही बचा इक काम करने के लिए रोज़ मर जाते हैं हम इक रोज़ मरने के लिए सब उ…
Read moreग़ज़ल غزل __________ एक ही शख़्स मेरी जान था "दख़लन साहब" कहने सुनने को इक इंसान था "दख़…
Read moreग़ज़ल غزل __________ आप क़ाफ़िर वो मुसलमान समझते हैं मुझे कुछ ही इंसान हैं इंसान समझते हैं मुझे आपका …
Read moreग़ज़ल غزل __________ महसूस हो रही है ख़ुदा की कमी हमें किस मोड़ पे ले आई है ये बेबसी हमें बस्ती में दी…
Read moreग़ज़ल غزل __________ ज़ाइका निकला नदी का भी समंदर जैसा क्या हर इक सीने में दिल रक्खा है पत्थर जैसा?? …
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